भाग -47 यह कहते हुए तुम एकदम अड़ कर बैठ गई मेरे सामने । बात टालने की मेरी सारी कोशिश बेकार हो गई तो मैं बोला, बोला क्या उन्हीं प्रोफ़ेसर साहब की बात दोहरा दी। जो उम्र में हम छात्रों से चार-छह साल ही बड़े थे, और हम-लोगों से क्लास के बाहर दोस्तों की तरह मिलते, बोलते-बतियाते थे। हर तरह की बातें। लेकिन छात्रों को हद से बाहर होते देखते ही, उन्हें ठेल कर हद में करने में देर नहीं लगाते थे। उनकी बातों में इतनी ताक़त होती थी कि, तब हम उनसे नज़र मिलाने की भी हिम्मत नहीं कर