जीवित मुर्दा व बेताल - अंतिम भाग

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उधर गोपाल सुबह होते ही घर से चल पड़ा । आज उसके ऊपर एक विशेष कार्यभार है । भोर में उसने आज फिर सपना देखा था उसी सपने में उसे इस विशेष कार्य का आदेश मिला है । आज उसके सपने में स्वयं देवी काली ने उसे दर्शन दिया है । वह उम्र में छोटा हो सकता है लेकिन डरपोक नहीं है । गोपाल ने घरवालों को कुछ भी ना बताकर सीधा नदी की ओर चल पड़ा । शारदा परम आनंद से दोनों हाथों को फैला पूरब में उगते सूर्य की ओर देखकर चिल्लाते हुए बोलने लगी , "