साधन

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जब मैं समझदार हुआ तब मेरा ध्यान सड़क किनारे बैलगाड़ी पर छप्पर ताने लोगो पर गया।तब मुझे पता चला।ये गड़रिया लुहार है।महाराणा प्रताप को महलों को छोड़कर जंगलो में रहना पड़ा था।ये उसी परम्परा का निर्वाह कर रहे है।आपको शहरों,कस्बो ही नही कही कही गांवो किनारे भी एक दो घर इनके मिल जाएंगे।पहले मैं सोचा करता था।ये लोग कैसे संसाधन विहीन या कम संसाधनों के रहते जीवन बिता लेते है।आज जब मानव ने इतनी तरक्की कर ली है चांद। पर जा पहुंचा है इंसान तब भी ये लोग आदिम युग मे जी रहे है।कहीं कही कुछ मात्रा में संसाधन जैसे