मेरी भैरवी - 4

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4.ऋषि कपिलेश विराजनाथ के सामने वह रहस्यमय परछाई अब साकार रूप में प्रकट हो गई थी। उस परछाई में जो व्यक्ति था उसकी कद-काठी से वह कोई स्वर्ग देव जैसा प्रतीत हो रहा था और उसकी आध्यात्मिक आभा भी उच्चस्तरीय की थी। जिसके प्रभाव से उस व्यक्ति का व्यक्तित्व अत्यंत दिव्यमय लग रहा था। विराजनाथ उस रहस्यमय अदृश्य परछाई व्यक्ति को देखकर उसके चरणों में नतमस्तक होकर प्रणाम किया और प्रार्थना करते हुये कहा:- हे! दिव्य पुरूष सिद्धमहायोगी आपने मुझे अपने दर्शन दिये में धन्य हो गया। कृपा करके आप मुझे अपना नाम बतायें ..कि मैं आपको किस नाम से संबोधित