(1)हरिया ने एक नज़र जंगल में चरती अपनी भेड़ों पर डाली। सभी आराम से चर रही थीं। वह अपने खाने की पोटली लेकर चश्मे के पास चला गया। वहाँ एक पत्थर पर बैठकर उसने पोटली खोली। आज भी उसकी पत्नी ने रोटी और लहसुन की चटनी ही बांधी थी। यह देखकर वह बड़बड़ाने लगा,"हर रोज़ वही। यह नहीं कि कभी कुछ और बना दिया करे। पर करें क्या जो भी है खाना पड़ेगा।"यह कहकर वह चुपचाप खाने लगा। कुछ देर तो मन खिन्न रहा। फिर मन दूसरी तरफ चला गया। वह सोचने लगा कि उसकी पत्नी की भी क्या