संचिता की दोस्ती के प्रपोजल पर ऋषि उसे हैरानी से देखने लगा । तो संचिता को बड़ा अजीब लगा । वह बोली । संचिता - क्या हुआ??? ऐसे क्यों देख रहे हो??? ऋषि - नहीं , वो बस ....., कभी मैंने दोस्त नहीं बनाए न , तो इसी लिए शॉक्ड हूं थोड़ा । संचिता ( उदासी से अपना हाथ वापस खींचते हुए बोली ) - हम्मम , ये भी है । कोई नई...., चल जाएगा......। वह अपना वाक्य पूरा करती , उससे पहले ही ऋषि ने उसका वापस जाता हाथ पकड़ लिया और कहा । ऋषि ( मुस्कुराते हुए )