मुकेश धीरे - धीरे मंदिर के पास पहुंचा । वहां पास ही बरगद के पेड़ पर उसने कुछ ऐसा देखा कि उसको अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था । चांद की रोशनी पत्तों के भीतर से हल्की - हल्की नीचे की तरफ आई है उसी हल्की रोशनी में पेड़ के नीचे का अंधेरा थोड़ा कम हो गया है । बरगद के पेड़ से उस वक्त मुकेश की दूरी लगभग 10 गज होगा इसीलिए पूरी तरह साफ न दिखने पर उनसे कुछ तो देखा । उसने ठीक से देखा , एक ऊँचे डाली पर कुछ झूल रहा था ।