……अपनी तरफ आती उस स्त्री को देखकर ही साफ प्रतीत हो रहा था कि वह भी तेज़ी से इस सुनसान अंधेरी गली को ही पार करना चाह रही है । सफ़ेद साड़ी पहने होने के कारण उसे अंधेरे में देख पाना आसान था । अब मुझे थोड़ा इत्मीनान हुआ और शांत मन से आगे बढ़ता रहा । तभी, ऐसा महसूस हुआ कि वह स्त्री बिलकुल मेरे पीछे आकर खड़ी हो गयी हो और मुझे आवाज़ दे रही है –“थोड़ा रुकिए”। मैं पीछे पलटा। सच में वह कुछ कहना चाह रही थी। बड़ी-बड़ी आँखें, चेहरे पर अजीब सा तेज़ – जैसे