जब से फैक्ट्री मे मेरी दूसरी पाली की शिफ्ट ड्यूटी लगी थी, तब से रात्रि में घर जाने मे काफी देर हो जाया करता था। ऑफिस से घर की दूरी यही करीब एक किलोमीटर की रही होगी। जब तक बहुत जरूरी ना हो, रात मे घर आने-जाने के क्रम में रास्ते मे पड़ने वाली सुनसान गालियां, जिनसे होते हुए घर जल्दी पहुँच तो सकता था, पर उन गलियों को पकड़ना मैं पसंद न करता था। क्यूंकि एक तो वहाँ घात लगाकर बैठे चोर–उचक्कों का खतरा रहता, तो दूसरी तरफ कुत्ते बहुत भौकतें थें उधर – जिससे मुझे डर लगता था।