आर. पी सक्सैना‘रज्जन’ का समग्र साहित्य

  • 4.8k
  • 1.8k

आर. पी सक्सैना‘रज्जन’ का समग्र साहित्य मेरी दृष्टि में रामगोपाल भावुक कभी कभी हम समय की पर्वाह नहीं करते तो हाथ मलते रह जाते हैं। रज्जन जी के लिये ऐसे ही कुछ विचार आज उठ रहे हैं। वे जब हमारे सामने थे तो हमारे मित्रों ने उन्हें समझने का प्रयास ही नहीं किया। वे क्षेत्र के परमहंस संत गौरी शंकर बाबा के परम भक्त थे। अक्सर सत्संग में आया करते थे। आज याद आ रही है उस समय की जब वे अपनी छंद बद्ध रचनाओं का तरन्नुम में गा-गाकर सुनाया करते थे।