आज सुबह जब पवित्रा टहलने के लिए निकली तब उसे फूल बानो रास्ते में मिल गई। फूल बानो उसका नाम नहीं था किंतु सोसाइटी में फूल बांटती थी इसलिए सब उसे फूल बानो कहकर बुलाते थे। एकदम हंसमुख चेहरे वाली फूल बानो को देखकर सभी को लगता था कितनी ख़ुश रहती है यह, लगता है कभी भी जीवन में इसकी दुःखों से मुलाकात हुई ही नहीं। पवित्रा ने कुछ देर रुक कर उससे बातचीत करना शुरू किया और पूछा, "कितने घरों में फूल देती हो?" "पच्चीस तीस घर होंगे मैडम" "तो कितना कमा लेती हो फूलों से?" "दो-तीन हज़ार कमा लेती