तब निभता कर्तव्य सही से,जब दस गुण अंदर आ जाते ।हम ईमान और निष्ठा से,निज स्वधर्म पथ कदम बढ़ाते ।।धन सम्पदा प्राप्त करने में, ध्यान धर्म का रखते ज्ञानी ।वीणा घर में रखी पुरानी, कदर न उसकी हमने जानी ।।क्या है उचित और क्या अनुचित,नैतिक और अनैतिक सारे।इच्छा और कामनाओं के, पथ पर धर्म करे उजियारे ।।इच्छा पूर्ति हेतु शुभता का, ध्यान कराए धर्म कहानी ।वीणा घर में रखी पुरानी, कदर न उसकी हमने जानी।।अनुचित और अनैतिकता से, हमको धर्म बचाता रहता ।धर्म दृष्टि से काम होय तो,शांति,सरसता वा सुख बहता।।हो जाता जब व्यक्ति धर्ममय,बने नहीं जग का व्यवधानी।वीणा घर