स्त्री.......(भाग-30)विपिन जी से बात करके लगा कि मैं फिर से बच गयी, ये तीसरी बार है जब मैं कुछ गलत करने से बच गयी....मैं क्यों हर बार एक ही गलती करने लगती हूँ! मैं झूठ नहीं कहूँगी पर विपिन जी जिस तरीके से मुझसे बात करते थे वो बहुत ही अच्छा था और मुझे कुछ खास होने का एहसास दिलाते रहना मुझे भा गया....पहले गोपालन सर उसके बाद शेखर मित्रा और अब विपिन अग्रवाल ! तीनों ही दिखने में अपनी अपनी जगह हैंडसम और आकर्षक लगे भी तो क्या मैं अब तक सिर्फ बाहरी खूबसूरती को ही सबकुछ मान लेती