स्त्री.... - (भाग-29)

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स्त्री.......(भाग-29)उन लोगों के जाने के बाद मैं ऊपर चली गयी....तारा भी मेरे पीछे पीछे ऊपर आ गयी। मैं जब तक कपड़े बदल कर आयी, पानी का गिलास टेबल पर रखा था और तारा चाय बना रही थी......मैं तब तक आँखे बंद करके लेट गयी। तारा की आवाज से आँखे खोली तो वो चाय वे कर खड़ी थी...। "तुमने अपने लिए चाय नहीं बनायी तारा"? ट्रे में एक कप देख कर मैंने पूछा तो बोली, "नहीं दीदी अभी नीचे के लिए बनाऊँगी तब पी लूँगी....जाओ इस चाय को दो कप में कर दो, बाद में तुम दोबारा पी लेना। वो जल्दी