- 29- अनीता को देखते ही विमल के हृदय की धड़कन तेज हो गई थी, लेकिन उसने अपनी मनोदशा का आभास डॉ. वर्मा या अनिता को नहीं लगने दिया। अस्पताल से लौटने के बाद से अनिता की छवि उसे आँखों के समक्ष डोलती-फिरती प्रतीत हो रही थी। उसको लग रहा था, यह समय बीतने में क्यों नहीं आ रहा। आख़िर रविवार की सुबह हुई। जब वह सैर को निकला तो अभी अँधेरा ही था। आकाश में बादल तो नहीं थे, किन्तु धुँध की वजह से दिखाई बहुत दूर तक नहीं देता था। शायद आम दिनों की अपेक्षा वह घर से