मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी

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पुत्र का इंतज़ार करते-करते रुदाली ने चार बेटियों को जन्म दे दिया। हर बार बेटे की उम्मीद रहती, किंतु अभी तक उनकी यह इच्छा पूरी ना हो पाई थी। वह  बेटे की लालसा में हर बार 20-22 घंटे की भयानक प्रसव पीड़ा भी सहन कर लेती थी। रुदाली के पति राकेश ने कई बार उसे समझाया कि हमारी चार-चार बेटियाँ हैं, वे भी बेटों की तरह ही तो हैं।   फिर भी रुदाली हमेशा एक बेटे की ज़िद पर अड़ी ही रहती थी।   राकेश के बार-बार समझाने पर परेशान होकर एक दिन रुदाली ने कहा, "राकेश मेरी चार बहने हैं किंतु एक भी भाई नहीं।