अविनाश तैयार होकर शादी के हॉल की ओर कार लेकर निकल पड़ता है । वह कार को चलाते हुए बस ऐसे ही खुश था पता नहीं क्यों!? पारुल से शादी होने की वजह से!? या उसका बदला पूरा होने वाला है इस वजह से!? ।वह बस सिर को ना में हिलाते हुए .... आगे रास्ते की ओर ध्यान देने लगता है । और सोचता है जो भी हो!? खुशी चाहे जिस बात की भी मिल रही हो...उसका आखिरी मुकाम तो मेरा बदला ही है । और फिर से उसकी आंखे रंग बदलने लगती है। जैसे किसी भूतने उससे काबू किया