पुत्र दान

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सरोज और राकेश ख़ुशी और ग़म के सागर में गोते लगा रहे थे। उनकी आंखों में बेटी की शादी की अगर खुशी थी तो विदाई की बेला का दुःख भी नज़र आ रहा था। कन्या दान करते वक्त उनके हाथ कांप रहे थे। राहुल के माता पिता शालिनी और वैभव अपनी बहू श्रद्धा को अपने घर ले जाने की ख़ुशी में सराबोर थे। बेटी की चाहत उनके दिल में समाई हुई थी, आज श्रद्धा को पाकर वह पूरी हो रही थी। राहुल के घर मेहमानों की भीड़ थी, सभी बारात के वापस आने का इंतज़ार कर रहे थे। बारात के