भीतर से सचेत

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बुद्ध का एक शिष्य था। वह सन्यास लेकर नया-नया दीक्षित हुआ था। उसने बुद्ध से पूछा के मैं आज कहां भिक्षा माँगने जाऊं? बुद्ध ने कहा, मेरी एक श्राविका है, वहाँ चले जाना।शिष्य वहाँ गया। जब वह भोजन करने बैठा, तो वह बहुत हैरान हुआ क्योंकि उसे रास्ते में इसी भोजन का खयाल आया था। यह उसका प्रिय भोजन था। पर उसने सोचा कि मुझे अब ये भोजन कौन देगा? वह कल तक राजकुमार था और जो उसे पसंद होता वह वही खाता था। लेकिन उस श्राविका के घर, उसकी पसंद का भोजन देख कर वह बहुत हैरान हो गया।