नौकरानी की बेटी - 39

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आनंदी का इंटरव्यू भी हुआ अगले दिन ही अख़बार की पहली हेड लाइन में आनंदी की फोटो और बहुत सारी बातें छापी गई थी।अन्वेशा बहुत ही खुश थी उसने अपनी पीगी बैंक में से पैसों से आनंदी के लिए एक बड़ा सा केक लाई।आनंदी को खुशी का ठिकाना नहीं रहा उसने केक काटा और सब को खिलाया।आनंदी ने जीवन जीने का उद्देश्य और जज़्बा दोनों को मान्यता दिया।फिर कहीं भी किसी के साथ कुछ गलत होता देख आनंदी तत्पर होकर उसे बचाती और अपने पैरों पर खड़े होना भी सिखा देती थी।उसका एक ही उद्देश्य था कि हर इन्सान को