"आप कानपुर क्यो गयी थी?'"मेरी सहेली रहती है।उससे मिलने गयी थी।"अंधेरे को चीरती हुई ट्रेन आगे बढ़ी जा रही थी।।कुछ यात्री बातो में लगे थे तो कुछ सो रहे थे।माया के बदन से उठती भीनी भीनी खुश्बू उसे मदहोश कर रही थी।"कल सन्डे है।कल तो आपकी छुट्टी होगी।'"हा""कल मैं भी दिल्ली में रहूंगा।होटल नटराज।आप वहाँ आ जाये।कल का दिन साथ गुज़ारेंगे।"",क्या कोई विशेष प्रोग्राम है?""आप साथ होगी तो प्रोग्राम तो विशेष ही होगा।"उसने अपनी नज़र माया के चेहरे पर जमा दी थी।अब भी वह उदास लग रही थी।उसकी उदासी में भी कशिश थी।उसे उस पर प्यार आ रहा था।कोई और