मैं गांधारी नहीं

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सूरज ढल रहा था अंधेरा पसरने की तैयारी में था। गांव की वह लड़कियां इसी अंधेरे का ही इंतज़ार करती हैं, जिनके घरों में शौचालय नहीं होते। गांव की एक ऐसी ही लड़की हाथ में लोटा लेकर, सूनी जगह की तरफ जा रही थी, जहां कोई आता-जाता ना हो । ठाकुर रणवीर प्रताप अपनी ऊंची हवेली के झरोखे में खड़े होकर बाहर की तरफ देख रहे थे। ठाकुर जी अपने गांव के सबसे अधिक शक्तिशाली धनाढ्य और बहुत बड़ी हस्ती थे। उनका बेटा रणजीत अपनी मोटर साइकिल पर सवार उसी राह से निकल रहा था। सूने रास्ते पर लड़की को देख कर उसने मौके का फायदा उठाना चाहा