में और मेरे अहसास - 44

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चलो चलते है निद की नगरी lचलो देखे सपनों की नगरी ll   ********************************* हुश्नण को बे-पर्दा देख चाँदको शरारत सूझी है आज lमुहब्बत की इन्तहा देख चाँदको शरारत सूझी है आज ll   ********************************* उम्रभर वफ़ा निभाने के लिए lबहोत सब्र की ज़रूरत होती है ll   ********************************* सुबह की चाय उतनी ताजगी नहीं देती lजितना के उनका गुड़ मॉर्निंगताजगी से भर देता है ll   ********************************* ये लम्हे ये पल याद रहेगे lजिंदगी भर छल याद रहेगे ll मुट्ठी में कैद कर लू इसे lआज है कल याद रहेगे ll प्यार भरे पल बीत जाएगे lकल थे बेकल