अनजान रीश्ता - 62

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पारुल ऐसे ही बड़बड़ाते हुए अपने कमरे की ओर जा रही थी की तभी वह किसी से टकराती है जिससे अपने सिर मलते हुए उस इंसान की ओर देखती है तो कोई अनजान इंसान था । उसने कभी पहले नहीं देखा था । वह उन्हें सॉरी बोलने वाली थी कि तभी वह इंसान कहता है। अनजान इंसान: आई एम सो सॉरी मेरा ध्यान नहीं था की सामने से कोई आ रहा है । पारुल: अरे!! कोई नहीं! मेरा भी ध्यान नहीं था तो सॉरी..। अनजान इंसान: इट्स ओके ( मुस्कुराते हुए कुछ कहने वाला होता है कि .. ) ।