मुझे तुम याद आएं--भाग(६)

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अन्जना के जाते ही कजरी बोली.... सुन्दर बाबू! ये आपने अच्छा नहीं किया,हम जैसे गरीब लोगों के लिए आपने अन्जना जी से कुछ ज्यादा ही भला बुरा कह दिया... तुमने देखा ना!कि उसे कितना घमंड है,रईस होगी तो अपने लिए,ये रईसी अपने घर में ही झाड़े,सत्यसुन्दर बोला।। लेकिन सुन्दर बाबू! ये अच्छा नही हुआ,रामाधीर बोला।। अरे,आप लोंग उस पर नहीं,खाने पर ध्यान दो,सत्यसुन्दर बोला।। लेकिन सुन्दर बाबू! अगर सेठ जी को कुछ पता चल गया तो,कजरी बोली।। बाबूजी को उसके बारें में सब पता है,वो कुछ नहीं कहेंगें,सत्या बोला।। और उधर अन्जना गुस्से में घर पहुँची तो उसके पिता