स्त्री.... - (भाग-23)

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स्त्री......(भाग -23)सड़क और उस पर आने जाने वाले लोगों को देखते देखते वक्त का पता नहीं चला।उगते सूरज से टाइम का आभास हुआ तो अपने रोज के कामों की शुरूआत की...काम के साथ साथ आगे कैसे और क्या करना है, ये भी प्लान करती जा रही थी....अभी अपने ही विचारों में गुम थी कि फोन की घंटी ने मेरा ध्यान अपनी तरफ खींचा....पति का फोन था जो ये कहने के लिए आया था कि जब मैं अपना सामान शिफ्ट कर लूँ, तो उन्हें फोन करके बता दूँ जिससे वो उनके मालिक चाभी के लिए किसी को भेज देंगे। उसी दिन