स्त्री.... - (भाग-22)

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स्त्री......(भाग-22)मैं सोने की बेकार कोशिश कर रही थी। नींद का आँखो में नामो निशान नहीं था और मेरा भी सो जाने का मन भी नहीं कर रहा था......वो अपने कमरे में चले गए और दरवाजा भी लॉक करने की आवाज आयी। उस रात माँ पिताजी और सबकी बहुत याद आ रही थी, माँ के जाने की चिट्ठी मैं लिखना चाह रही थी ये सोच कर कि उन्हें आना चाहिए, पर मामाजी ने कहा कि बहु रहने दो, बहुत समय लगता है आने जाने में, बेकार ही वो लोग परेशान होंगे घर की ही बात है रहने दो। वैसे भी महीनों