स्त्री.... - (भाग-4)

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स्त्री.......(भाग-4)जब बहुत देर हो गई बैठे हुए तो मैं हाथ मुँह धोने के लिए उठ गयी.....मन तो कर रहा था कि नहा लूँ, पर समझ नहीं आ रहा था कि ऐसे नहाने जाऊँ या नहीं? काफी सोचने के बाद अपनी संदूक से कपड़े निकाले और नहाने चली गयी।नहाने के लिए गुसलखाने में पानी का ड्रम भरा रखा था। ड्रम देख कर याद आया कि ननद ने बातो ही बातों में बताया था कि यहाँ पानी की किल्लत बहुत है, तो सब संभल कर इस्तेमाल करते हैं.....मैंने वहीं पास रखी बाल्टी में पानी लिया और कुछ देर में नहा कर निकली......जैसे