खंडहर की दास्तान कुछ वर्ष पूर्व जबलपुर शहर के हनुमानताल क्षेत्र में एक वैद्य रहते थे। एक दिन रात में 12 बजे के आसपास उनके दरवाजे पर दस्तक हुयी और दरवाजा खोलने पर एक सज्जन अंदर आकर बोले वैद्य जी एक मरीज बहुत असहनीय पीडा में है। आपको चलकर उसे देखना है यह एक अशर्फी आप अपने पास रखिये। आप के इलाज के उपरांत एक अशर्फी और बतौर फीस दे दी जाएगी। वैद्य जी अशर्फी का मूल्य समझते थे और वे तुरंत ही उसके साथ अपना झोला लेकर चल पडे़ जिसमें आपातकालीन दवाएँ थी। वे सज्जन बिना कोई बातचीत किये