मे और महाराज - ( हीरो_२) 39

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अपनी शाही बग्गी मैं कुछ घंटों का सफर तय करने के बाद सिराज और समायरा अपनी पूरी टोली के साथ उनके महल पहुंचे। सिराज समायरा को अपनी बाहों में उठाए हुए उसके कक्ष की तरफ दौड़ रहा था। चांदनी और गौरबाई को महाराज के आने की खबर पहले ही लग गई थी। वह दोनों ही सज सवरकर सिराज का इंतजार कर रही थी। जैसे ही सिराज ने समायरा के महल में कदम रखा, वो दोनों तुरन्त सामने हाजिर हुएं। " महाराज।" दोनो ने सर झुकाते हुए कहा। " हमे राजकुमारी शायरा के साथ हुए हादसे का काफी दुख हैं मेरे महाराज।" गौर