यमदूत के कमरे के दरवाजे के बाहर वीर प्रताप हाथ में तकिए लिए खड़ा था।" मैंने कभी तुम्हें यहां रहने की इजाजत नहीं दी।" यमदूत ने अपने हाथ अपने सीने पर मोड़ते हुए कहा। " तुमसे इजाजत मांगी किसने है ? मैं इस घर का मालिक हूं। यह मेरा घर है मैं आज रात यही सोऊंगा।" वीर प्रताप ने ज़बाब तैयार रखा।" नहीं यह नहीं होगा " यमदूत अपनी जिद पर अड़ा हुआ था।" समझने की कोशिश करो वह जवान लड़की है। ऊपर से मेरी अनोखी दुल्हन। हम दोनों एक कमरे में एक साथ रात नहीं बिता सकते।" वीर प्रताप ने