वो कहते हैं ना कि माँ हमेशा चाहती है कि उसके बेटे का पेट भरा रहें लेकिन एक बाप हमेशा चाहता है कि उसके बेटे की थाली हमेशा भरी रहें,माँ की ममता और बाप की बापता में इतना ही फर्क होता है कि माँ की ममता की छाँव बच्चों को हमेशा शीतलता प्रदान करती है और बाप की कठोरता उसे धूप में जलना सिखाती है,जीवन से संघर्ष करना सिखाती है, माँ का बच्चे के जीवन में एक अलग स्थान होता है,लेकिन पिता बच्चे की रीढ़ होता है,जो बच्चे को कभी भी झुकने नहीं देता,माँ को बच्चे का पहला गुरू