“वैभव तुम्हारी बेगुनाही का कहीं ना कहीं, कुछ ना कुछ, सबूत तो अवश्य ही होगा और मैं उसे ढूँढ कर रहूँगी।” अब संध्या के दिमाग़ में केवल एक ही फितूर था कि किसी भी तरह से वैभव को उतने ही मान-सम्मान के साथ उसी कॉलेज में वापस लेकर जाना होगा, पर कैसे? बहुत विचार विमर्श करने के बाद उसने ख़ुद उस कॉलेज में पढ़ाने के लिए आवेदन पत्र दे दिया। उन्हें भी इस समय लेक्चरर की ज़रूरत थी। उन्होंने तुरंत ही संध्या को इंटरव्यू के लिए बुला लिया। कुछ ही दिनों में संध्या को वह नौकरी मिल गई। संध्या को