वैभव शांत बैठा हुआ संध्या के गुस्से को देख रहा था। वह समझ रहा था कि संध्या का यह गुस्सा बिल्कुल जायज़ है। वह सोच रहा था कि उसका गुस्सा थोड़ा शांत हो जाए तभी उससे बात करना ठीक रहेगा। उसने कहा, "संध्या प्लीज़ नाराज़ मत हो। मुझे तुम्हें पहले ही सब बता देना चाहिए था लेकिन अब मैं तुम्हें सब कुछ सच-सच बता दूँगा। बस पहले तुम शांत हो जाओ तुम्हारी नाराज़ी मुझे शर्मिंदा कर रही है। मेरा यक़ीन मानो मैं तुम्हें सब बताऊँगा, बस मुझे विश्वासघाती मत समझना।" संध्या नाराज़ होकर रजाई से मुँह ढक कर दूसरी तरफ़