71 साँझ होने लगी थी लेकिन मन वैसा ही बना हुआ था | मुक्ता ने प्रयासपूर्वक मुस्कुराने का सिलसिला ज़ारी रखा | वह उठकर जाने ही लगी थी कि सतपाल ने उसे प्रगाढ़ आलिंगन में ले लिया – “अब चाय-वाय बनाने मत चल देना, बाहर ही चलेंगे | लालजी बता रहा था कि हमारे शहर में एक बहुत सुंदर रेस्तरां खुला है | ” पत्नी को आलिंगन से मुक्त करके वे आगे बढ़ गए, अलमारी खोलकर उन्होंने नई साड़ी और मोतियों का सैट निकाला और मुस्कुराते हुए मुक्ता से पहनने का अनुरोध किया | सतपाल मुक्ता को लेकर फिल्म देखने