नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 68

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68 भाग्यवश बहादुर को एक नेपाली लड़का मिल गया था जिसे उसने कैंटीन का काम बढ़ जाने के कारण सारांश से पूछकर अपने पास रख लिया था | बातों-बातों में बहादुर ने उसकी जन्मपत्री पढ़ डाली थी और नेपाल के उसके खानदान का पता चलते ही वह उस पर लट्टू हो गया था | उसका नाम विजय था और वह नेपाल के राजा के किसी कर्मचारी के दूर के रिश्तेदार का नाते-रिश्ते में कुछ लगता था | वह यहाँ पर बचपन से ही अपने फूफा के पास पढ़ने आ गया था और अब बी. ए में था| उसे अपने अध्ययन