( पिछले अंक में आपने पढ़ा कि सुरेखा को रघु में कोई दिलचस्पी नहीं थी. अब आगे पढ़ें रघु ने कैसे उसकी सहेली रागिनी के पिता की जान बचायी…. ) भाग 2 सुरेखा और रागिनी दोनों बी ए कर चुकीं थीं. कुछ ही दिनों बाद सुरेखा शहर छोड़ कर अपने पिता के पास जा रही थी, रागिनी तो इसी शहर में रहती थी. रागिनी ने कहा “ सुरेखा, अब तो नाराजगी छोड़ो, पता नहीं तुम कहाँ होगी और मैं कहाँ. चलो एक बार रघु की दुकान पर चलते हैं. “ दोनों सहेलियां दुकान पर पहुंची. दोनों ने महसूस किया कि उन्हें देखते ही रघु की आँखें ख़ुशी से