कुमारवेलु

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मूल कहानी तमिल में ‘मीना सुन्दर’ ने लिखी है हिन्दी अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा ने किया है। सुबह हो चुकी। चेंगम्मा अपने घर के सामने गोबर व पानी छिड़क कर साफ कर रंगोली बनाई। तालाब पर जाकर धनपाल वापस आ गया। एक कटोरी में बासी चावलों पर छोटी कैरी का अचार रख दिया। उसे खाकर धनपाल हाथ में गन्ना काटने का हंसिया लेकर रवाना हुआ। धनपाल व चेंगम्मा की शादी हुए पांच साल हो गए, लेकिन इतने अल्पकाल में तीन बच्चे एक के बाद एक पैदा हो गये। वह मन व शरीर दोनों से परेशान हो गई। यही नहीं तीन