ये बात २००५ की तब हम लखनऊ इसी आलमबाग रेलवे क्वार्टर में रहते थे। हमारा परिवार तीसरे माले में रहता था। एक रात सोटे हुए अचानक मेरी आंख खुल गई। में बाथरूम की तरफ से बड़ा तो मुझे किसी के रोने की आवाज सुनायी दी मैंने ध्यान से सुना तो मुझे किसी औरत के रोने की आवाज बिलकुल साफ सुनाई देने लगी फिर में बाथरूम से फ्रेश होके अपने बिस्तर पे फिर से सो गया। सुबह उठ के मैंने अपने मां से पुचा क्या अपने किसी औरत के रोने की आवाज सुनी है तो बता दिया की उन किसी के रोने