मे और महाराज - ( हीरो_१) 38

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अपने पति के साथ गुजरी सुहानी शाम के बाद सुबह जब समायरा ने आंखे खोली, सिराज उसके सामने एक कुर्सी पर बैठ किताब पढ़ रहा था। " घूमने लाए हो कहते हो फिर भी काम में व्यस्त हो।" उसकी बात सुन सिराज ने किताब से ऊपर देखा। " हम अभी भी आपको घुमाना चाहते हैं। लेकिन बाहर का वातावरण अभी आपके घूमने लायक नहीं है।" सिराज ने किताब बंद करते हुए कहा। " क्या वह लोग अभी भी बाहर है ?" समायरा ने मासूमियत से पूछा। " नहीं। लेकिन अगर वह हमारा छुपकर पीछा कर सकते हैं। तो मतलब खतरा अभी भी टला नहीं।"