स्याह रातों की सुबह

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स्याह रातों की सुबह काॅफी हाउस के एक टेबल पर वे दोनों आमने-सामने बैठे हुए थे। ध्यान से देखा तो मासूम बच्चे जैसे चेहरे पर ढेर सारी गम्भीरता लिये वह लड़की अमित को पसंद आ गई थी। "आप क्या बहुत कम बोलतीं हैं?" बात शुरू करने के लिए उसने पूछा तो एकाएक उधर से एक सुझाव आया... "आप न, इस शादी से इनकार कर दीजिए!" चौंक उठा था वह,"क्यों भला?" "मैं शादी करना ही नहीं चाहती!" लड़की की आवाज़ काँप रही थी। "आप इतनी नर्वस क्यों हैं? छोड़िये शादी-वादी की बातें! काॅफी अच्छी है न यहाँ की?" अमित ने उसे