मैं तो ओढ चुनरिया - 34

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मैं तो ओढ चुनरिया - 34 उस आदमीनुमा लङके का दिखाई देना तो बंद हो गया पर सवाल अपनी जगह कायम थे कि उस दिल के मरीज लङके ने किसी अच्छे डाक्टर को दिखाया या नहीं । उसे दिल की दवा मिली या नहीं । तभी किसी पङोसन के हार्ट अटैक से मरने की खबर मिली तो ये बेचैनी और बढ गयी । उन्हीं दिनों बाबी पिक्चर थियेटर में लगी । ऋषि और डिंपल के इश्क के चर्चे आम हो गये । अब सङकों पर लङके जोर जोर से मैं शायर तो नहीं और हम तुम इक कमरे