क्या तुझे भी इश्क़ है? (भाग-6) भाग-6. तुम विवेकानंद के जैसी बनो!रात के करीब साढ़े दस बज रहे थे। शिवाक्षी अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी। वो अपने फ़ोन पर किसी डबिंग स्टूडियो के नंबर ढूंढ रही थी। इसी दौरान कोई उसका दरवाजा बजाता है। - हमने बोला था हमें कोई डिस्टर्ब ना करे। अगर हम गुस्सा करते हैं और बिना किसी मतलब के लोगों से झगड़ा करते हैं तो हम इस कमरे में ठीक हैं। हम आज के बाद घर से नहीं निकलेंगे। उसने बिस्तर पर लेटे-लेटे ही जवाब दिया। - शिवी बेटा हम तुम्हारे पापा... दरवाजा खोलो!- पापा हमें अब कोई लेक्चर