इश्क. - 3

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शेखर -सिम्मी से भाभी मत आना तुम ।अब सेचुवेसन बदल गया है ।मैं तुम्हें लेने आधे रस्ते तक लेने पहुँच गया हूँ ।तुम घर वापस चले जाइये ।अब फ़िल्म की गति बदलने लगी है ।वेदांत दीवाना हो गया है ।क्यों ,कैसे ।तुम ही पूछ लेती तो भला है ।हम कहा दे तो हमारा कचूमर ही निकाललेगा ।बात करती हूं ।ओके भाभी।तुम स्वीट बाय हो ।शेखर बहुत खुश होता है ।मन ही मन सोचता है ।वेदांत का मजा चखाऊउंगा ।भाभी तुम न आये तो बढ़िया।करनाल की पहाड़ी जंगलो से धिरी हुई है ।जंगली जानवरों का दिन में ही डर बना रहता