सुहाग, सिन्दूर और प्रेम - भाग(९)

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माधुरी तो इसी ताक में थी कि कब वो सरगम और कमलेश्वर को साथ साथ देख ले और उनके रिश्ते को कलंकित कर दे,सरगम को खुश देखकर उसके सीने में साँप लोटने लगते,वो खुद ही एक चरित्रहीन महिला था,इसलिए तो अब तक उसने शादी नहीं की थी।। वो मौकें की तलाश में थी और आखिरकार उसे एक दिन मौका मिल ही गया.... वट-सावित्री का त्यौहार था,इत्तेफाक से उस दिन इतवार था,सबकी आँफिस की छुट्टी थी,उस दिन काँलोनी की बहुत सी सुहागिनों ने इस व्रत को किया,सभी सुहागिनें सम्पूर्ण श्रृंगार करके पूजा के लिए काँलोनी के बरगद के पेड़ के