सुहाग, सिन्दूर और प्रेम - भाग(८)

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कमलेश्वर उन सबके पीछे चल रहा था सरगम ने गौर तो किया लेकिन उस अन्जान शख्स को टोका नहीं,उसने सोचा वैसे भी बड़ी मुश्किल से खुद को सम्भाल पा रही हूँ फिर से एक नया बखेड़ा खड़ा हो जाएगा.... कमलेश्वर ने उन सबका घर तक पीछा किया और जब घर देख लिया तो चुपचाप अपने घर की ओर बढ़ गया,लेकिन उसने सरगम का चेहरा ठीक से देख लिया था,उसके बचपन वाली सरगम और इस वाली सरगम में उसे काफी अन्तर दिखाई दे रहा था,फिर उसने मन में सोचा कि हो सकता है समय के साथ साथ इन्सान के नैंन-नक्श