सुहाग, सिन्दूर और प्रेम - भाग(३)

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सरगम ने पेड़ से नीचे उतरते ही उन बुजुर्ग से कहा.... लो! आ गई नीचें,बोलो क्या काम है? काम तो कुछ नहीं है,ये तो बता तेरा नाम क्या है? बुजुर्ग ने पूछा।। मेरा नाम सरगम है और तुम्हारा नाम,सरगम ने धड़ल्ले से पूछा.... मैं..मैं जगजीवनराम हूँ,वें बुजुर्ग बोले।। अच्छा!आम खाओगें,सरगम ने पूछा।। ना बेटी! तुम ही खाओं,जगजीवनराम जी बोलें।। वैसे तुम इतने बुरे भी नहीं हो,सरगम बोली।। तुम भी तो बहुत अच्छी हो बिटिया!,जगजीवनराम जी बोले।। ना! मैं अच्छी नहीं हूँ,सरगम बोली।। ऐसा कौन कहता है? मुझे तो तू बहुत भली लगी,जगजीवनराम जी बोले।। ऐसा नानी कहती है और गाँववाले