पहले कदम का उजाला - 18 - अंतिम भाग

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मैं अपने ख्यालों में खोई ख़ुद से बातें कर रही थी। मेरे सामने दो युवतियाँ आईं। मुझसे मुस्कुराकर ‘हैलो’ कहा। मैंने भी जवाब में ‘हैलो’ कहा। उन्होंने मुझे बताया कि वो मेरे ही होटल में ठहरी हुई हैं। मेरे पास वाले कमरे में। वो दोनों वियतनाम से यहाँ आईं हैं। कल का उनका घूमने का प्रोग्राम उन्होंने मुझे बताया। साथ ही यदि मैं चाहूँ तो उनके साथ घूमने जा सकती हूँ। हम तीनों ने मिलकर कल के लिए टैक्सी बुक की। लौटते समय हम तीनों साथ थे। भाषा के थोड़े से सहारे से भी रिश्ते बन जाते हैं। जिनमें कम