51 समिधा के जीवन में जो खालीपन आ गया तब उस स्थान को केवल काम ही नहीं भर सकता था | कुछ रिश्ते, कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जो ताउम्र मस्तिष्क की दीवार पर चिपकी रह जाती हैं | आँखें बंद करती तो माँ, पापा के साथ बिताए चंद खूबसूरत दिन उसकी पलकों पर तैरने लगते और वह अपने बिस्तर पर पड़े खाली तकिये को आँखों पर रखकर फफक पड़ती | कई दिनों तक बोस दंपति ने उसे उसके घर में अकेले नहीं सोने दिया था, ज़िद करके दोनों उसे अपने साथ अपने घर में ही सुलाते थे | खाने-पीने