ढाबे में नौकरीदिनेश एक संपन्न परिवार से है। उसका बचपन सुख सुविधा में गुजरा। पर वह 42 वर्ष की उम्र तक कंपटीशन की तैयारी करता रहा। आखिर वह असफल रहा। आर्थिक तंगी आने लगी। आखिर अपने बच्चों का पेट भरने के लिए उसने किसी होटल-ढाबे में नौकरी करने की सोची। वह देहरादून गया। 2-4 ढाबों में पूछने पर आखिर उसे एक ढाबे में नौकरी मिल गई। रोज 5-6 बजे सुबह उठकर वह अन्य कर्मचारियों के साथ काम पर लग जाता। और रात 1:30-2:00 बजे तक वह काम करता रहता। लगभग 20 घंटे की रोज ड्यूटी होती। दिनेश सोचता आखिर इन